रविवार, 10 अप्रैल 2011

अर्पण: तुझे अर्पण हैं

अर्पण: तुझे अर्पण हैं: "मन की वेदना से फूटते दर्द को बिसारने के लिए ,आज मेरेपिता मैं तुम्हारी गोद में सर रखकर ,मासूम बच्ची की तरह रोना चाहती थी |लेकिन बचपन से ..."

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