बचपन से लेकर आज तक मेरे जीवन का हर पल मेरे प्रभु मेरे आराध्य श्री राम का दिया हुआ हैं |इसमें खुशी भी हैं दर्द भी हैं वो सब कुछ हैं |मेरे जीवन की वेदना और खुशी में मेरी आँखों से गिरते हुए आसुओं से उन्हें नमन करते हुए अपना सर्वस्व उन्हेंअर्पण करती हूँ |
अपने राम की अनुभूति
अर्पण: तुझे अर्पण हैं: "मन की वेदना से फूटते दर्द को बिसारने के लिए ,आज मेरेपिता मैं तुम्हारी गोद में सर रखकर ,मासूम बच्ची की तरह रोना चाहती थी |लेकिन बचपन से ..."
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